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वारिस शाह से
"पंजाब की एक बेटी रोई थी
तूने एक लम्बी दास्तान लिखी
आज लाखों बेटियाँ रो रही हैं..."
वारिस शाह ने 'हीर' लिखी थी, पंजाब की एक बेटी के लिए.. इस कविता में अमृता प्रीतम दुहाई दे रही हैं कि विभाजन के समय आज पंजाब की कितनी बेटियों को अत्याचार सहना पड़ रहा है.. वे रोने पर विवश हैं.. कई परिवार से अलग हो गईं, कितनों को परिवार ने मिल जाने पर भी नहीं अपनाया। इतना कुछ हो रहा है आज पंजाब की हीरों के साथ.. तो आज वारिस शाह अपनी कब्र में चुप क्यों हैं?