मुद्रास्फीति के दौर में
एक मैं भी हूँ… कहीं छिपा हुआ
जिसका दाम बाज़ार में
सबसे धीमा बढ़ रहा है… तुम्हारे ढूंढने तक
तुम अब भी उतनी ही आसानी से मोल सकती हो मुझे
जैसे बिक जाता था मैं अकेला तुम्हारे पास
मंदियों के दौर में…
मुद्रास्फीति के दौर में
एक मैं भी हूँ… कहीं छिपा हुआ
जिसका दाम बाज़ार में
सबसे धीमा बढ़ रहा है… तुम्हारे ढूंढने तक
तुम अब भी उतनी ही आसानी से मोल सकती हो मुझे
जैसे बिक जाता था मैं अकेला तुम्हारे पास
मंदियों के दौर में…