एक शख्‍स ने एक बड़े आदमी को उर्दू में दरखास्‍त लिखी- “खुदा हुजूर की उम्र दराज करे, हुजूर की नजर गुरबा परवरी पर ज्‍यादा है.. इससे उम्‍मीद है कि हुजूर मुझ पर भी नजरे इनायत रखें।”

उसने अपने मुंशी को हुकुम दिया- “इस दरखास्‍त को पढ़ो।”

मुंशी ने दरखास्‍त इस तौर से पढ़ी- “खुदा हुजूर की उमर दराज करे, हुजूर की नजर गुर पापर बरी पर ज्‍यादा है.. इससे उम्‍मीद है कि हुजूर मुझ पर भी नजरे इनायत रखें।”

बालकृष्ण भट्ट
पंडित बाल कृष्ण भट्ट (३ जून १८४४- २० जुलाई १९१४) हिन्दी के सफल पत्रकार, नाटककार और निबंधकार थे। उन्हें आज की गद्य प्रधान कविता का जनक माना जा सकता है। हिन्दी गद्य साहित्य के निर्माताओं में भी उनका प्रमुख स्थान है।