नेता
पाँच साल तक अपनी अकर्मण्यता का मर्म समझाते हैं
‘डेवलपमेंट’ के सपने दिखलाते हैं
और कोई कर्म नहीं करते
और हम सब
‘साइंटिफिक’ सोच वाले
कोई प्रतिक्रिया नहीं करते
ना कोई बदलाव की मुहिम
ना ढर्रा बदलने की ज़िद
कहते हैं हम सब
‘न्यूटन’ के हवाले से
“हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है।”
बिना क्रिया की कैसी प्रतिक्रिया?