Tag: ईश्वर

God

वसीयत

सुख एक ख़ूबसूरत परिकल्पना है जीवन, कम और अधिक दुःख के मध्य चयन की जद्दोजहद! मार्ग के द्वंद में फँसे, नियति को देते हैं हम मन्नतों की रिश्वतें देवता मनुष्यों के...
Mohammad Alvi

आख़िरी दिन की तलाश

ख़ुदा ने क़ुरआन में कहा है कि लोगो मैंने तुम्हारी ख़ातिर फ़लक बनाया फ़लक को तारों से चाँद-सूरज से जगमगाया कि लोगो मैंने तुम्हारी ख़ातिर ज़मीं बनायी ज़मीं के सीने पे नदियों की लकीरें...
Mohammad Alvi

मैं और तू

ख़ुदा-वंद... मुझ में कहाँ हौसला है कि मैं तुझसे नज़रें मिलाऊँ तिरी शान में कुछ कहूँ तुझे अपनी नज़रों से नीचे गिराऊँ ख़ुदा-वंद... मुझ में कहाँ हौसला है कि...
Usha Dashora

ईश्वर का रीविज़न

अपराधी को एक बच्चे की पवित्र मुस्कान दो धोखेबाज़ पर उड़ेल दो पंचपरमेश्वर की न्यायप्रियता का डिस्टेम्बर विरोधी के आँगन में उगा दो बिस्मल्ला ख़ाँ की शहनाई वाली मीठी...
God, Abstract Human

मैं ईश्वर की हत्या करना चाहता हूँ

बचपन से सिखाया गया ईश्वर विज्ञान से परे है ईश्वर के पास हर मर्ज़ की दवा है अभी, जब ईश्वर की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है तो ईश्वर क्वारेंटीन हो...
God, Abstract Human

विस्थापित ईश्वर

जो घटना समझ नहीं आयी, उसे हमने ईश्वर माना और उनसे ईश्वर रचे जो समझ के अधीन हुईं। उसने वर्षा, हवा, पेड़ों में शक्ल पायी, और सीधे सम्बन्ध...
Vishesh Chandra Naman

नयी भाषा

सड़कें, साइकिल और हमारे सजे हुए सपने किसी थकी हुई भाषा के शब्दों की तरह रुक गए हैं, चमत्कार की भाषा की चाह में हमने दूर से...
Kailash Vajpeyi

क्षणिकाएँ : कैलाश वाजपेयी

स्पन्दन कविता हर आदमी अपनी समझ-भर समझता है ईश्वर एक कविता है! मोमिन पूजाघर पहले भी होते थे, हत्याघर भी पहले होते थे हमने यही प्रगति की है दोनों को एक में मिला दिया। आदिम...
God, Abstract Human

उसने ईश्वर होने से मना कर दिया

बहुत हुआ अब थम जाओ काट डालो पैने डंक जो तुमने उगा रखे हैं मन की अंदरूनी तहों में बस करो कि जब न रहो तुम बची रहे तुम्हारे हिस्से की ज़मीन त्रिशंकु होना अच्छा नहीं लगेगा...
Mohammad Alvi

मगर मैं ख़ुदा से कहूँगा

मगर मैं ख़ुदा से कहूँगा ख़ुदा-वंद! मेरी सज़ा तू किसी और को दे कि मैंने यहाँ इस ज़मीं पर सज़ाएँ क़ुबूलीं हैं उनकी कि जिनसे मुझे सिर्फ़ इतना तअल्लुक़...
Lockdown Migration, Labour

राहुल बोयल की कविताएँ

1 एक देवी की प्रतिमा है - निर्वसन पहन लिया है मास्क मुख पर जबकि बग़ल में पड़ा है बुरखा देवताओं ने अवसान की घड़ी में भी जारी रखी...
Tribe, Village, Adivasi, Labour, Tribal, Poor

गोबिन्द प्रसाद की कविताएँ

आने वाला दृश्य आदमी, पेड़ और कव्वे— यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है इसमें जो कुछ छूट गया है मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और किसी...
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