Tag: Urdu Nazm
जब सोच रही थी मैं एक नज़्म
जब सोच रही थी मैं एक नज़्म
वो निकल गई बराबर से
नाराज़गी से मुझे देखती
तवज्जोह नहीं दे सकी मैं
उनकी दानिश-मंदाना बातों पर
पढ़ा तारीख़ गुज़रने के...
दो ज़िंदगियाँ
हम दो ज़िंदगियां जी रहे हैं
एक वो जो तुम देख रहे हो
हमें अच्छे कपड़े पहन कर घूमते हुए
हंसते मुस्कुराते हुए
एक वो, जो हम सह...
बोल! अरी ओ धरती बोल!
बोल! अरी ओ धरती बोल!
राज सिंहासन डाँवाडोल!
बादल बिजली रैन अँधयारी
दुख की मारी प्रजा सारी
बूढ़े बच्चे सब दुखिया हैं
दुखिया नर हैं दुखिया नारी
बस्ती बस्ती लूट...
सिंड्रेला
सुनो लड़की!
इस बार कोयले की राख को पेशानी पर रगड़ लेना
हालात की सौतेली बहनों से समझौता तुम कर लेना
नहीं आएगी परी कोई तुम्हारा मुस्तक़बिल...
मेघदूत
सनसनाहटों के साथ
गड़गड़ाहटो के साथ
आ गया
पवन रथ पे बैठ कर
मेरा मेघ देवता
दोश पर हवाओं के
बाल उड़ाता हुआ
उसका जामुनी बदन
आसमाँ पे छा गया
दूर तक गरज...
रतजगों का ज़वाल
'रतजगों का ज़वाल' - शहरयार
वो अँधेरी रात की चाप थी
जो गुज़र गई
कभी खिड़कियों पे न झुक सकी
किसी रास्ते में न रुक सकी
उसे जाने किस...
ये वो धरती नहीं है
नहीं ये वो धरती नहीं है
नहीं ये वो धरती नहीं है जहाँ मेरा बचपन
मेरा तितलीयों, फूलों, रंगों से लबरेज़ बचपन
किसी शाहज़ादी की रंगीं कहानी...
क़ैद में रक़्स
सब के लिए ना-पसंदीदा उड़ती मक्खी
कितनी आज़ादी से मेरे मुँह और मेरे हाथों पर बैठती है
और इस रोज़-मर्रा से आज़ाद है जिस में मैं...
एक पुरानी कहानी
किसी शहर में इक कफ़न चोर आया
जो रातों को क़ब्रों में सूराख़ करके
तन ए कुश्तगां से कफ़न खींच लेता
आख़िर ए कार पकड़ा गया
और उसको...
युधिष्ठिर
अभी चीड़ के जंगलों से गुज़रना बहुत जाँ-फ़ज़ा है
कई मील के बाद बर्फ़ीले तूदों का सहरा मिलेगा
जहाँ सर्द पुरवाइयों के थपेड़े थिरकते मिलेंगे
उमूदी ढलानों...
खण्डहर
इसी उदास खण्डहर के उदास टीले पर
जहाँ पड़े हैं नुकीले से सुरमई कंकर
जहाँ की ख़ाक पे शबनम के हार बिखरे हैं
शफ़क़ की नर्म किरन...
रस की अनोखी लहरें
"मैं ये चाहती हूँ कि दुनिया की आँखें मुझे देखती जाएँ यूँ देखती जाएँ जैसे
कोई पेड़ की नर्म टहनी को देखे
लचकती हुई नर्म टहनी को देखे.."