Amir Khusro Ki Paheli

काजल की कजलौटी ऊधो,
पेड़न का सिंगार।
हरी डाल पे मैना बैठी ,
है कोई बूझन हार।

– जामुन

एक राजा ने महल बनाया,
एक थम्ब पर वाने बंगला छाया।
भोर भई जब बाजी बम,
नीचे बंगला ऊपर थम्ब।

– मथनी

आदि कटे तो सबको पाले,
मध्य कटे तो सबको घाले
अंत कटे तो सबको मीठा,
खुसरो वाको आँखों दीखा।

– काजल

एक नार चतुर कहलावे,
मूरख को ना पास बुलावे।
चतुर मरद जो हाथ लगावे,
खोल सतर वह आप दिखावे।

– पुस्तक

कीली पर खेती करै,
औ पेड़ में दे दे आग।
रास ढोय घर में रखै,
रह जाए है राख।

– कुम्हार

गाँठ गठीला, रंग-रंगीला,
एक पुरुख हम ने देखा।
मरद इस्तरी उसको रक्खे,
उसका क्या कहूँ लेखा।

– मठा

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Book by Amir Khusro:

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अमीर ख़ुसरो
अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि शायर, गायक और संगीतकार थे। उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित थाI स्वयं अमीर खुसरो ने आठ सुल्तानों का शासन देखा थाI अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया हैI वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखाI

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