पृथ्वी के लिये पसीना
राजस्व नहीं
सत्व है
मिट्टी के श्रम से
यह संपन्न पृथ्वी
माँगती नहीं कोई दान
सत्व है पसीना
पृथ्वी के लिये
बेगार में अर्पित
कोई सौगात नहीं है
किले में बंद देवता के लिये
तुम्हारी अश्वेत पृथ्वी के हाथ
कराते हैं आज़ाद यमदूतों से
उनको जो जन्म से हैं
आदमी की सूरत में कुत्ते जैसे
वे जो
स्वयं को करते है प्रदर्शित
आदमखोर
काल से भी ज्यादा डरावने
सदा ही रक्तपिपासु लुटेरे
पसीना सत्व है
रोटी है सबके लिये
रोटी पृथ्वी की
पृथ्वी द्वारा
पृथ्वी के लिये
पृथ्वी ही समूची जनता है।