जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
अपनों से दूर हो जाओगे
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
नौकरी से हाथ धो बैठोगे
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
प्यार करने वाले हवा हो जाएँगे
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
अकेले रह जाओगे एकदम
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
छोड़ दिए जाओगे अपने हाल पर
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
पागल क़रार कर दिए जाओगे सहसा
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
मार दिए जाओगे अचानक
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
ज़िन्दा जला दिए जाओगे चौराहे पर उसी दिन
जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
ईश्वर में तब्दील कर दिए जाओगे चुपचाप!
शलभ श्रीराम सिंह की कविता 'स्त्री का अपने अंदाज़ में आना'