Poems: Yogesh Dhyani

‘आ’ की मात्रा

ख़ुद को
ख़ुदा कहने वाले लोग
कहाँ से ख़रीदते हैं
यह ‘आ’ की मात्रा

शायद यह मात्रा
बड़ी इमारतों के पीछे के
छोटे दरवाज़ों से मिलती है

क़ीमत तो वो ही जानें।

सब ठीक है

हर झूठ
किसी सच को
ख़ारिज करने से बनता है

सब ठीक है
यह इस विश्व का सबसे बड़ा झूठ है
जिसे हम हर रात
किसी आश्वस्ति की तरह मोड़कर
अपने तकिये के नीचे रख
चैन की नींद सो जाते हैं!

काँच

काँच को कभी नहीं होना चाहिए
इतना साफ़
कि सामने से आने वाले को
उसके होने का आभास न हो

ज़रूरी है साफ़ मन का भी
थोड़ा मैला होना।

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