1

होंठ काटते हुए
मुझे ऐसा लगता है
जैसे मैं इस दुनियाई नक़्शे से
किसी देश का होना
लगभग काट-सा रहा हूँ
अचानक प्रेम की फुहार
मुझे भिगा देती है
मैं दुनिया मिटाने पे तुला हूँ

2

तय यात्राएँ स्थगित करने के बाद
मैं ढूँढता हूँ विकल्प
कि मरने से पहले अधमरा होता
या डूब जाने के ठीक पहले
मैं तैर चुका होता जी भर।

3

प्रेम में पड़ा हुआ लड़का
रेगिस्तान की रेत पर बैठा
अपनी मुट्ठियों में भींचता है रेत
तत्काल ही वह
प्रेम के साथ छोड़ देता रेत
उसे डर है कि
रेत का प्रेम
रेत की देह
रेत ही की दुनिया
रेत में न समा जाए।

4

उनींदी आँखों में ख़्वाब लिए
फूलवाले की सुई
रोहिड़े जैसे मखमली फूलों पर,
मण्डराने वाले भँवरों को
उड़ा देता है हाथ की चुटकी से
अगले ही पल में वह
चीर डालता है फूल का गर्भ।

5

रेत के प्रेम में
न जाने कितने रेतीले ताजमहल
प्रेम की परछाई बनी हुई
रेत की ही भाँति
भरभराकर रेत हो गए
सोचता हूँ तो
मरने लगता हूँ।

6

किसी आक पर नज़र गड़ाए
दोनों मुट्ठियों के बीच
अपना मुँह छिपाता मैं
पैर के अँगूठे से ज़मीं खोदता
क़यास लगाता रहता हूँ
सृष्टि के नष्ट होने के।

7

मेरी आश्रित आत्मा
दुःखों से झरकर
इंतज़ार में बैठी है
किसी क़ब्रगाह को तकते,
दुनिया के तमाम हथकण्डों
सारी स्नेही रात्रियों के पश्चात
मैं आत्मा को मुक्त नहीं कर पाता।

8

मैं सहेजता हूँ सिगरेट के चुम्बन
होंठों के इस संगम में
कश के ठीक बाद
छोड़ी गई लम्बी साँस
जैसे रेगिस्तान सहेजता है
उजड़ आंधियों का अस्तित्व।

9

मरने के दिनों में
बचे रहने की कोशिश
मुझे ठीक ऐसी लगती है जैसे
एक चींटी चढ़ती है दीवार
और गिर जाती है धड़ाम से।

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