रहता तो सब कुछ वही है
ये पर्दे, यह खिड़की, ये गमले…
बदलता तो कुछ भी नहीं है।

लेकिन क्या होता है
कभी-कभी
फूलों में रंग उभर आते हैं
मेज़पोश-कुशनों पर कढ़े हुए
चित्र सभी बरबस मुस्काते हैं,
दीवारें : जैसे अब बोलेंगीं
आसपास बिखरी किताबें सब
शब्द-शब्द
भेद सभी खोलेंगीं।
अनजाने होठों पर गीत आ जाता है।

सुख क्या यही है?
बदलता तो किंचित नहीं है,
ये पर्दे, यह खिड़की, ये गमले…

कीर्ति चौधरी
कीर्ति चौधरी (जन्म- 1 जनवरी, 1934, नईमपुर गाँव, उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 13 जून, 2008, लंदन) तार सप्तक की मशहूर कवयित्री थी। साहित्य उन्हें विरासत में मिला था। उन्होंने "उपन्यास के कथानक तत्त्व" जैसे विषय पर शोध किया था।