Tag: Adil Mansuri
सियाह चाँद के टुकड़ों को मैं चबा जाऊँ
सियाह चाँद के टुकड़ों को मैं चबा जाऊँ
सफ़ेद सायों के चेहरों से तीरगी टपके
उदास रात के बिच्छू पहाड़ चढ़ जाएँ
हवा के ज़ीने से तन्हाइयाँ...
वो मर गई थी
उसके ज़हरी होंठ काले पड़ गए थे
उसकी आँखों में
अधूरी ख़्वाहिशों के देवताओं के
जनाज़े गड़ गए थे
उसके चेहरे की शफ़क़ का रंग
घायल हो चुका था
उसके जलते...