Tag: Asamiya Kavita
एक पिता
घुप्प अँधेरे में
जंगल की राह
रोके खड़ा था फन फैलाए
एक साँप
द्रुत गति से
लौट रहा था घर को
उसी राह से
बेचारा केंहूराम
और...
वो था एक अड़ियल साँप
दोनों कुछ...
पर्वत के उस पार
पर्वत के उस पार
कहीं लो बुझी दीपशिखा
इस पार हुआ धूसर नभ
उतरे पंछी कुछ अजनबी
नौका डूबी...
उस पार मगर वो पेड़
ताकता रहा मौन
मृदु-मन्द सुरीली गुहार
देता रहा...