"अजमेर शरीफ़ के नाम पर दे दे बाबा... अल्लाह तुझको बरकत देगा...।" दुमंज़िले फ़्लैट के नीचे से यह आवाज़ बार-बार मेरे कानों में गूँज...
वह आता
दो टूक कलेजे को करता, पछताता
पथ पर आता।पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को — भूख मिटाने को
मुँह...