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अब तुम नौका लेकर आए
अब तुम नौका लेकर आए,
जब लहरों में बहते-बहते हम तट से टकराए!
जब सब ओर अतल सागर था
सतत डूब जाने का डर था
तब जाने यह...
बादल होता नाव
बादल होता नाव
उसमें बैठकर मैं घूमता आकाश सागर में
जब मन करता उतरता बूँदों के पैराशूट से
गिरता समाता मुँह खोले बैठी धरा पर
उगता फिर फ़सल...
चाँदनी रात में नौका विहार
चाँदनी बिखेरती रात जगमगा रही
और हमें संग लिए नाव चली जा रही
आसमान के तले, याद के दिए जले
छपक छपक धार पर नाव शान से...