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Vijaydev Narayan Sahi

दीवारें

जिस दिन हमने तोड़ी थीं पहली दीवारें, (तुम्हें याद है?) छाती में उत्साह कंठ में जयध्वनियाँ थीं। उछल-उछलकर गले मिले थे, फिरे बाँटते बड़ी रात तक हम बधाइयाँ। काराघर में फैल...
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