Tag: Caste Discrimination

Rahul Sankrityayan

तुम्हारी जात-पाँत की क्षय

हमारे देश को जिन बातों पर अभिमान है, उनमें जात-पाँत भी एक है। दूसरे मुल्कों में जात-पाँत का भेद समझा जाता है भाषा के...
Saadat Hasan Manto

भंगन

'Bhangan', a story by Saadat Hasan Manto "परे हटिये..." "क्यों?" "मुझे आपसे बू आती है।" "हर इन्सान के जिस्म की एक ख़ास बू होती है... आज बीस बरसों...
Kanwal Bharti

तब तुम्हारी निष्ठा क्या होती?

यदि वेदों में लिखा होता ब्राह्मण ब्रह्मा के पैर से हुए हैं पैदा। उन्हें उपनयन का अधिकार नहीं। तब, तुम्हारी निष्ठा क्या होती? यदि धर्मसूत्रों में लिखा होता तुम...
Om Prakash Valmiki

विध्वंस बनकर खड़ी होगी नफ़रत

तुमने बना लिया जिस नफ़रत को अपना कवच विध्वंस बनकर खड़ी होगी रू-ब-रू एक दिन तब नहीं बचेंगी शेष आले में सहेजकर रखी बासी रोटियाँ पूजाघरों में अगरबत्तियाँ,...
Premchand

सद्गति

'सद्गति' का दुखिया चमार, 'गोदान' के होरी और 'ठाकुर का कुआँ' की गंगी की श्रेणी में खड़ा हुआ पात्र है जिसकी उपस्थिति हिन्दी साहित्य में अविस्मरणीय है! तमाम धार्मिक भेदभावों और जातिगत उपेक्षा सहता हुआ यह पात्र अपनी परिणति में पाठकों के मन पर ऐसी चोट करता है जिसे सहला पाना किसी भी तरह के विमर्श और सांत्वनाओं के बस की बात नहीं। पढ़िए प्रेमचंद की एक महान कृति 'सद्गति'!
Om Prakash Valmiki

बस्स! बहुत हो चुका

जब भी देखता हूँ मैं झाड़ू या गन्दगी से भरी बाल्टी कनस्तर किसी हाथ में मेरी रगों में दहकने लगते हैं यातनाओं के कई हज़ार वर्ष एक साथ जो फैले हैं...
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