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हक़ दो
फूल को हक़ दो—वह हवा को प्यार करे
ओस, धूप, रंगों से जितना भर सके, भरे
सिहरे, काँपे, उभरे
और कभी किसी एक अँखुए की आहट पर
पंखुड़ी-पंखुड़ी...
मुलाक़ात
मुझे पल-भर के लिए आसमान को मिलना था
पर घबरायी हुई खड़ी थी
कि बादलों की भीड़ में से कैसे गुज़रूँगी
कई बादल स्याह काले थे
ख़ुदा जाने—कब...
भगवान के डाकिए
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं—
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लायी चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और...
बादल होता नाव
बादल होता नाव
उसमें बैठकर मैं घूमता आकाश सागर में
जब मन करता उतरता बूँदों के पैराशूट से
गिरता समाता मुँह खोले बैठी धरा पर
उगता फिर फ़सल...
जा चुके लोग
'Ja Chuke Log', a poem by Ritu Niranjan
जा चुके लोग अक्सर
चले जाने के बावजूद
बचे रह जाते हैं जीवन में
वक़्त के जिस्म पर
खुरचे हुए निशानों...
मेघ जीवन
किरणों की मथनी से सूरज, मथता जब सागर जल को ।
नवनीत मेघ तब ऊपर आता, नवजीवन देने भूतल को ।
था कतरा कतरा सा पहले,...
हे काले-काले बादल
यह कैसा दुःख कि आँखें बादलों से होड़ लगाने पर तुली हैं!!
"हे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना।
मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़ लगाना॥"