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Kedarnath Singh

हक़ दो

फूल को हक़ दो—वह हवा को प्यार करे ओस, धूप, रंगों से जितना भर सके, भरे सिहरे, काँपे, उभरे और कभी किसी एक अँखुए की आहट पर पंखुड़ी-पंखुड़ी...
Amrita Pritam

मुलाक़ात

मुझे पल-भर के लिए आसमान को मिलना था पर घबरायी हुई खड़ी थी कि बादलों की भीड़ में से कैसे गुज़रूँगी कई बादल स्याह काले थे ख़ुदा जाने—कब...
Ramdhari Singh Dinkar

भगवान के डाकिए

पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं— हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लायी चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और...
Anurag Tiwari

बादल होता नाव

बादल होता नाव उसमें बैठकर मैं घूमता आकाश सागर में जब मन करता उतरता बूँदों के पैराशूट से गिरता समाता मुँह खोले बैठी धरा पर उगता फिर फ़सल...
Hand, Gone, Left, Calling, Away

जा चुके लोग

'Ja Chuke Log', a poem by Ritu Niranjan जा चुके लोग अक्सर चले जाने के बावजूद बचे रह जाते हैं जीवन में वक़्त के जिस्म पर खुरचे हुए निशानों...

मेघ जीवन

किरणों की मथनी से सूरज, मथता जब सागर जल को । नवनीत मेघ तब ऊपर आता, नवजीवन देने भूतल को । था कतरा कतरा सा पहले,...
Subhadra Kumari Chauhan

हे काले-काले बादल

यह कैसा दुःख कि आँखें बादलों से होड़ लगाने पर तुली हैं!! "हे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना। मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़ लगाना॥"
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