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रुदन की व्यंजनाएँ
मैं कभी नहीं रोया
मुझे किसी ने रोते हुए देखा भी नहीं
रुदन साहस माँगता है
मैं अपनी आँखों को
हमेशा कातर असहजता के
ढाई इंच नीचे की स्मिति से
ढाँपता रहाजब...
हे काले-काले बादल
यह कैसा दुःख कि आँखें बादलों से होड़ लगाने पर तुली हैं!!"हे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना।
मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़ लगाना॥"