Tag: Deepak Singh

God, Abstract Human

मृगतृष्णा

जीवन उतना ही जिया जितना मृत्यु नींद में विश्राम करती है। नींद के बाहर एक विशाल मरुथल है लोग कहते हैं— मरुथल के पार कोई ईश्वर रहता है मैं अनवरत...
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