Tag: Dreams of Freedom
पीठ
1
बोझा ढोते-ढोते
इस देश की पीठ
इतनी झुक गयी है
कि पलटकर किए जाने वाले काम
स्वतंत्रता या संविधान की तरह
माने जा चुके हैं
किसी पौराणिक गप्प का हिस्सा।
2
राजनीति—
नियमों...
खुलती रस्सियों के सपने
लम्बी फ़ुर्सत की तलाश में
नया कहने, सुनने, गुनने की कैफ़ियत
जाती रहती है
ज़ुबान बंजर होती जाती है, साँस सँकरी
वक़्त की अदृश्य रस्सियाँ
पैरों को जकड़ती हुई
धीरे-धीरे गर्दन तक...