'Dadi Maa', a poem by Kailash Manharसीलन भरी कोठरी के
अँधेरे कोने में
कुछ चिथड़े बिखरे हैं
लाल, पीले, काले, सफ़ेद
सादे और फूलोंदार
घाघरे लूगड़ी और
सूती धोतियाँ पेटीकोटकुछ अपने...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...