Tag: Hindu-Muslim

bhisham sahni

अमृतसर आ गया है

"उसने ध्यान से अपने कपड़ों की ओर देखा, अपने दोनों हाथों की ओर देखा, फिर एक-एक करके अपने दोनों हाथों को नाक के पास ले जा कर उन्हें सूँघा, मानो जानना चाहता हो कि उसके हाथों से खून की बू तो नहीं आ रही है।"
Gulzar Singh Sandhu

आख़िरी तिनका

पतझड़ के दिन थे। नई फसल की बोआई शुरू हो चुकी थी। मुर्गे की पहली बाँग ने चन्दन की आँख खोल दी। वैसे भी...

पठानिस्तान

क्योंकि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान पर्याप्त नहीं थे...!
Child, Kid, Boy

राख

खुद को एक दूसरे के ऊपर प्रतिस्थापित करने के उद्योग में उन्मादी भीड़-समूह ने फेंके एक-दूसरे के ऊपर अनगिनत पत्थर जमकर बरसाई गईं गोलियां पार की गईं हैवानियत की...
Agyeya

शरणदाता

"देखो, बेटा, तुम मेरे मेहमान, मैं शेख साहब का, है न? वे मेरे साथ जो करना चाहते हैं, वही मैं तुम्हारे साथ करना चाहता हूँ। चाहता नहीं हूँ, पर करने जा रहा हूँ। वे भी चाहते हैं कि नहीं, पता नहीं, यही तो जानना है। इसीलिए तो मैं तुम्हारे साथ वह करना चाहता हूँ जो मेरे साथ वे पता नहीं चाहते हैं कि नहीं... " विभाजन की एक और कहानी, जो बताती है कि जब दो सम्प्रदायों की सदियों पुरानी एकता और भाईचारे पर एक 'मंशा' के साथ चोट की जाती है तो ऊपर से दिखने वाला सौहार्द भी ज़्यादा दूरी तक नहीं टिक पाता... कभी मज़बूरी के चलते और कभी बस समय के फेर में!
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