Tag: Ibn E Insha
इब्ने इंशा के कवित्त
1
जले तो जलाओ गोरी, पीत का अलाव गोरी
अभी न बुझाओ गोरी, अभी से बुझाओ ना।
पीत में बिजोग भी है, कामना का सोग भी है
पीत...
इक बार कहो तुम मेरी हो
हम घूम चुके बस्ती बन में
इक आस की फाँस लिए मन में
कोई साजन हो, कोई प्यारा हो
कोई दीपक हो, कोई तारा हो
जब जीवन रात...