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कुरेदता हूँ
स्मृतियों की राख
कि लौट सकूँ कविता की तरफ़एक नितान्त ख़ालीपन में
उलटता-पलटता हूँ शब्दों को
एक सही क्रम में जमाने की
करता हूँ कोशिशज़िन्दगी की बेतरतीबी...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...