Tag: Old Age

budhape par kavita

बुढ़िया का कटोरा

मन में उठे दो भाव, एक के बाद एक, देखा जब मैंने एक बुढ़िया को, बैठी थी जो एक बड़े पुराने मंदिर के बाहर, लिए हुए अपने हाथों में एक...
Suryakant Tripathi Nirala

मैं अकेला

मैं अकेला; देखता हूँ, आ रही मेरे दिवस की सान्ध्य बेला। पके आधे बाल मेरे हुए निष्प्रभ गाल मेरे, चाल मेरी मन्द होती आ रही, हट रहा मेला। जानता हूँ, नदी-झरने जो...
Chitra Mudgal

तर्पण

"यह क्या किया आपने पापाजी? बैठक में मम्मीजी की तसवीर टाँग दी? मम्मीजी की तसवीर कोई सैयद हैदर रजा की पेंटिंग है क्या? कितनी भद्दी लग रही है दीवार! सोचा था, साठ-सत्तर हजार जोड़ लूँगी तो रजा की एक पेंटिंग खरीद कर लाकर यहाँ टाँग दूँगी। न होगा तो उनकी किसी पेंटिंग का पोस्टर ही खरीद कर मढ़वा लूँगी। लग जाएँगे चार-चाँद बैठक की कलात्मकता में। ईर्ष्या करेंगे अड़ोसी-पड़ोसी। उनके घर की दीवार पर रजा की पेंटिंग सजी हुई है।"
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