Tag: Pessimism

Bhuvaneshwar

सूर्यपूजा

"थोड़े-से क्लर्क, दुकानदार, दलाल, अ़फसर - और हर एक शहर में बिलकुल ऐसे ही क्लर्क, दुकानदार, दलाल और अफसर हैं, बिलकुल ऐसे ही! यह इतनी डुप्लीकेट कॉपियाँ आखिर क्यों हैं! जब खुद असल ही इतना जलील है। कोई यह यकीन करेगा कि यह एक शहर है जहाँ आदमी रहते हैं - जिन्दा, पूरे-पूरे मनुष्य, जो ह्यूमेनिटी कही जाती है?"
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