असफलता के क्रूर प्रहारों ने इतनी चोट कभी नहीं पहुंचाई थी जितनी नैना के चले जाने ने। निशांत के निःसार जीवन की सरसता शहरों...
नहीं बीतती अब ये लम्बी रात
नैना मुझसे कर लो कुछ बातजब आ जाऊँ मैं संग तुम्हारे साथ
थिरकाओ चाँद के आगे अपना हाथ
गोरी उंगलियाँ चले...