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ईश्वर की देह
किताब 'आत्मा की आँखें' सेकविता: डी एच लॉरेंस
अनुवाद: रामधारी सिंह दिनकरईश्वर वह प्रेरणा है,
जिसे अब तक शरीर नहीं मिला है।
टहनी के भीतर अकुलाता हुआ फूल,
जो...
तुम क्यों लिखते हो
तुम क्यों लिखते हो? क्या अपने अन्तरतम को
औरों के अन्तरतम के साथ मिलाने को?
अथवा शब्दों की तह पर पोशाक पहन
जग की आँखों से अपना रूप...
भगवान के डाकिए
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं—
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लायी चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और...