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नहीं समझ आते तीज त्योहार
'Nahi Samajh Aate Teej Tyohar', a poem by Ritika Srivastavaतुम्हें बताया गया हर अनुष्ठान को करने का कारण
लोग करते आये हैं, तुम भी करो
होगा...
स्त्रीधन
भारतीय समाज में बेटी की शादी या बहू के आगमन की तैयारियाँ सालों पहले से शुरू हो जाती हैं, लेकिन इन 'भौतिक' दिखने वाली तैयारियों के पीछे उन्हें क्या-क्या संजोकर रखने के लिए दे दिया जाता है, इसका अंदाज़ा खुद यह समाज आज तक नहीं लगा पाया!