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ये पहाड़ वसीयत हैं
ये पहाड़ वसीयत हैं—
हम आदिवासियों के नाम
हज़ार बार
हमारे पुरखों ने लिखी है,
हमारी सम्पन्नता की आदिम गंध हैं ये पहाड़।
आकाश और धरती के बीच हुए...
विकास की क़ीमत
'Vikas Ki Qeemat', a poem by Rachana
वो कह रहे हैं कि हम विकसित हो रहे हैं
बढ़ रहे हैं आगे
चढ़ रहे हैं सीढ़ियाँ सभ्यता की
दिन...