Tag: Shekhar Joshi
बदबू
"घोड़े के पीछे, और अफसर के आगे कौन समझदार जाएगा? एक आदमी के कारण इतने लोगों का नुकसान हो गया, ऐसे लड़ने-भिड़ने को ही जवानी बना रखी हो, तो आदमी दंगल करे, अखाड़े में जाए। नौकरी में तो नौकर की ही तरह रहना चाहिए।""दूसरी बार मिट्टी लगाने से पहले उसने हाथों को सूँघा और अनुभव किया कि हाथों की गंध मिट चुकी है। सहसा एक विचित्र आतंक से उसका समूचा शरीर सिहर उठा। उसे लगा आज वह भी घासी की तरह इस बदबू का आदी हो गया है।"
कोसी का घटवार
लछमा ने कहा था, "इसे यहीं रख जाना, मेरी पूरी बाँह की कुर्ती इसमें से निकल आएगी।" वह खिलखिलाकर अपनी बात पर स्वयं ही हँस दी थी।पुरानी बात - क्या कहा था गुसाईं ने, याद नहीं पड़ता... तेरे लिए मखमल की कुर्ती ला दूँगा, मेरी सुवा! या कुछ ऐसा ही।पर लछमा को मखमल की कुर्ती किसने पहनाई होगी - पहाड़ी पार के रमुवां ने, जो तुरी-निसाण लेकर उसे ब्याहने आया था?