Tag: Thief
साढ़े तीन आने
"मैंने क़त्ल क्यों किया। एक इंसान के ख़ून में अपने हाथ क्यों रंगे, यह एक लम्बी दास्तान है। जब तक मैं उसके तमाम अवाक़िब...
चोर
मुझे बेशुमार लोगों का क़र्ज़ अदा करना था और ये सब शराबनोशी की बदौलत था। रात को जब मैं सोने के लिए चारपाई पर...
बारिश की रात
आरा शहर। भादों का महीना। कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात। ज़ोरों की बारिश। हमेशा की भाँति बिजली का गुल हो जाना। रात के गहराने...
कभी इतनी धनवान मत बनना
'Kabhi Itni Dhanwan Mat Banana', a poem by Riturajकभी इतनी धनवान मत बनना कि लूट ली जाओसस्ते स्कर्ट की प्रकट भव्यता के कारण
हांग्जो की...