ये पहाड़ सदियों से यहीं हैं
जब तुम भी न थीं
शायद, जब कोई भी न था
एक दूसरे को ताकते
कब से मौन खड़े हैं
मैं चाहता हूँ, इन पहाड़ों में जाकर
तेरा नाम चीखकर चिल्लाऊँ
ये भी तो जानें
तुम भी तो हो
और मैं भी…

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