किसी ने सुने गीत
किसी ने ग़ज़ल सुनी
कोई सुना शास्त्रीय संगीत
कोई पॉप सुना
कोई ज़ाज़
किसी ने रॉक्स को चुना
झरने के बहने में
नूपुर की झंकार में
वीणा की तान में था संगीत
किसी ने सुनी
बाँसुरी की स्वर लहरी
पर ‘मैं’ था निद्रा में गहरी
नहीं सुन पाया ये।
और नहीं सुन पाया
एक शहर के
चिल्ड्रन का कृन्दन
न कर पाया
उन आँसुओ का भंजन
जो बह रहे
झरने के जैसे
और जब
सूरज अस्त था
मैं डिनर में व्यस्त था
नहीं सुन पाया।