मुंशी अमीर अहमद "मीनाई" (जन्म १८२८-मृत्यु १९००) एक उर्दू शायर थे। 1857 के ग़दर के बाद ये रामपुर चले आए और ४३ वर्षों तक वहाँ रहे। १९०० में हैदराबाद जाने के बाद इनकी मृत्यु हो गई। इन्होंने २२ किताबें लिखीं जिसमें ४ दीवान (ग़ज़ल संग्रह) हैं।
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यहीं-कहीं वृन्दावन की गलियों में
भटकती यहाँ-वहाँ कपला गाय
जिसका दूध आज भी चौर्य होता
संध्याकाल, राधा टीला पर
मोर और तोते ही दिखायी देते थे
उन्हें पकड़ खाया
भूखे बन्दरों ने इन...
लेखक अविनाश कल्ला की किताब 'अमेरिका 2020 - एक बँटा हुआ देश' दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र होने की दावेदारी करने वाले देश—अमेरिका—के राष्ट्रपति चुनाव...
जब तक थे वे
जंगलों में
मांदर बजाते, बाँसुरी बजाते
करते जानवरों का शिकार
अधनंगे शरीर
वे बहुत भले थे
तब तक उनसे अच्छा था नहीं दूसरा कोई
नज़रों में तुम्हारी
छब्बीस...