ब्रजनारायण चकबस्त (1882–1926) उर्दू कवि थे। पद्य के सिवा गद्य भी इन्होंने बहुत लिखा है, जो मुजामीने चकबस्त में संगृहीत हैं। इनमें आलोचनात्मक तथा राष्ट्रोन्नति संबंधी लेख हैं जो ध्यानपूर्वक पढ़ने योग्य है। गंभीर, विद्वत्तापूर्ण् तथा विशिष्ट गद्य लिखने का इन्होंने नया मार्ग निकाला और देश की भिन्न भिन्न जातियों में तथा व्यवहार का संबंध दृढ़ किया। सुबहे वतन में इनकी कविताओं का संग्रह है। इन्होंने कमला नामक एक नाटक लिखा है।
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
सामान्यता
मुझे बाल्टिक समुद्र का
भूरा पानी याद है!
16 डिग्री तापमान की
अनंत ऊर्जा का
भीतरी अनुशासन!बदसूरत-सी एक चीख़
निकालती है पेट्रा और उड़
जाता है आकाश में
बत्तखों...
विनीता अग्रवाल बहुचर्चित कवियित्री और सम्पादक हैं। उसावा लिटरेरी रिव्यू के सम्पादक मण्डल की सदस्य विनीता अग्रवाल के चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
औंधा पड़ा सपना
प्यार दरअसल फाँसी का
पुराना तख़्ता है, जहाँ हम
सोते हैं! और जहाँ से हमारी
नींद, देखना चाह रही होती है
चिड़ियों की ओर!मत...
प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग...
आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक
समीक्षा: अनूप कुमार
मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963)...