मैं दिव्या श्री, कला संकाय में स्नातक कर रही हूं। कविताएं लिखती हूं। अंग्रेजी साहित्य मेरा विषय है तो अनुवाद में भी रुचि रखती हूं। बेगूसराय बिहार में रहती हूं।प्रकाशन: हंस, वागर्थ, ककसाड़, कविकुम्भ, उदिता, जानकीपुल, शब्दांकन, इंद्रधनुष , पोषम पा, कारवां, साहित्यिक, तीखर, हिन्दीनामा, अविसद,ईमेल आईडी: [email protected]
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...