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हिन्दी के आधुनिक गद्य-साहित्य में सब से महत्वपूर्ण लेखकों में गिने जाने वाले कृष्ण बलदेव वैद ने डायरी लेखन, कहानी और उपन्यास विधाओं के अलावा नाटक और अनुवाद के क्षेत्र में भी अप्रतिम योगदान दिया है। अपनी रचनाओं में उन्होंने सदा नए से नए और मौलिक-भाषाई प्रयोग किये हैं जो पाठक को 'चमत्कृत' करने के अलावा हिन्दी के आधुनिक-लेखन में एक खास शैली के मौलिक-आविष्कार की दृष्टि से विशेष अर्थपूर्ण हैं।