Tag: Hatred

Thithurte Lamp Post - Adnan Kafeel Darwesh

‘ठिठुरते लैम्प पोस्ट’ से कविताएँ

अदनान कफ़ील 'दरवेश' का जन्म ग्राम गड़वार, ज़िला बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने...
Agyeya

घृणा का गान

सुनो, तुम्हें ललकार रहा हूँ, सुनो घृणा का गान! तुम, जो भाई को अछूत कह वस्त्र बचाकर भागे तुम, जो बहिनें छोड़ बिलखती, बढ़े जा रहे...
Saadat Hasan Manto

वह लड़की

सवा चार बज चुके थे लेकिन धूप में वही तमाज़त थी जो दोपहर को बारह बजे के क़रीब थी। उसने बालकनी में आकर बाहर...
Gulzar

दस्तक

सुबह-सुबह इक ख़्वाब की दस्तक पर दरवाज़ा खोला, देखा सरहद के उस पार से कुछ मेहमान आए हैं आँखों से मानूस थे सारे चेहरे सारे सुने-सुनाए पाँव धोए,...
Markandeya

ग़रीबों की बस्ती

यह है कलकत्ता का बहूबाज़ार, जिसके एक ओर सरकारी अफ़सरों तथा महाजनों के विशाल भवन हैं और दूसरी ओर पीछे उसी अटपट सड़क के...
Little Girl laughing, Kid

नन्ही बच्चियाँ

'Nanhi Bachchiyaan', a poem by Nirmal Gupt दो नन्ही बच्चियाँ घर की चौखट पर बैठीं पत्थर उछालती, खेलती हैं कोई खेल वे कहती हैं इसे- गिट्टक! इसमें न...
War, Blood, Mob, Riots

गाँव-देश

'Gaon Desh', a story by Amit Tiwary जब से रामा बाबा फ़ौज से रिटायर हुए थे, यानि कि लगभग बीस साल पहले, तब से गाँव...
Harshita Panchariya

विषतंत्र

'Vishtantra', a poem by Harshita Panchariya अपने तंत्र को मज़बूत करने के लिए उन्होंने चुना साँपों को, तालाब में मछलियों की संख्या अधिक होने के बावजूद दानों की लड़ाई...
Fire, Riots, Curfew

आग

'Aag', a poem by Poonam Sonchhatra आग... बेहद शक्तिशाली है जला सकती है शहर के शहर फूँक सकती है जंगल के जंगल आग... नहीं जानती सजीव-निर्जीव का भेद वह नहीं...
Smoke

सियासत

'Siyasat', a poem by Shekhar Azamgarhi वादों की सिगरेट जलाकर बहुमत का धुआँ उड़ा मुद्दों की राख उड़ाता चला नफ़रत के निकोटिन का आदी फेफड़े में झूठ जैसे क्षयरोग खाँसता,...
Religion, Religious, Hands, Hell

साक्ष्य

'Saakshya', a poem by Harshita Panchariya जाते-जाते उसने कहा था, नरभक्षी जानवर हो सकते हैं पर मनुष्य कदापि नहीं, जानवर और मनुष्य में चार पैर और पूँछ के सिवा समय...
Gorakh Pandey

दंगा

'Danga', poems by Gorakh Pandey 1 आओ भाई बेचू, आओ आओ भाई अशरफ़, आओ मिल-जुल करके छुरा चलाओ मालिक रोज़गार देता है पेट काट-काटकर छुरा मँगाओ फिर मालिक की दुआ मनाओ अपना-अपना धरम...
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