अब नहीं उनसे यारी रख
अपनी लड़ाई जारी रख

भूख ग़रीबी के मसले पे
अब इक पत्थर भारी रख

कवि मंचों पर बने विदूषक
उनके नाम मदारी रख

भीड़-भाड़ में खो मत जाना
अपनी अलग चिन्हारी रख..

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