जब पानी की एक बूँद पर,
बनेगा सूखे का साम्राज्य,
क्या तब मिटेगी ,
तुम्हारे अधरों की प्यास?
या तब भी रह जायेगा अधूरा,
हमारा प्रेम परिचय!

ओस की बूंदों पर,
तुम्हारे कितने प्रतिबिम्ब बने थे,
पर मेरा हृदय तो एकल था,
जिसमें सिर्फ तुम थे, तुम्हारे प्रतिबिम्ब नहीं।
जब चिरागों की रौशनी पर बनेगा,
अंधेरों का साम्राज्य,
क्या तब होंगे हम एकाकार,
एक दूसरे में?
या तब भी रह जायेगा अधूरा,
हमारा प्रेम परिचय!

एक शताब्दी को तुमने,
एक क्षण में बदल दिया,
जिस क्षण की प्रतीक्षा शायद तुम्हें भी थी।
ढाई आखर ही सही, पर तुम्हें बोलना था कुछ,
चीखती आवाज़ों के बीच,
जब स्थापित होगा मौन का साम्राज्य,
क्या तब करोगे प्रेम का,
इज़हार हमसे?
या तब भी रह जायेगा अधूरा,
हमारा प्रेम परिचय!

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दिव्य प्रकाश सिसौदिया
लेखक कविता लिखना अपना शौक ही नही धर्म मानते है। इतिहास विषय से स्नातक, परास्नातक, तथा यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात इन्हें सिविल सेवा मुख्य परीक्षा देने का अवसर भी प्राप्त हुआ।इसके अतिरिक्त लगभग 8 वर्षो तक रामलीला में "लक्ष्मण" का अभिनय भी करते रहे है। बाकि इनका बेहतर परिचय कविताये ही दे सकती है। वर्तमान में लेखक उत्तर प्रदेश सरकार में " असिस्टेंट कमिशनर" के पद पर चयनित है।

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