जुनूँ पे अक़्ल का साया है, देखिए क्या हो
हवस ने इश्क़ को घेरा है, देखिए क्या हो

गई बहार मगर आज भी बहार की याद
दिल-ए-हज़ीं का सहारा है, देखिए क्या हो

ख़मोश शम-ए-मोहब्बत है फिर भी हुस्न की ज़ौ
गुलों से ता-ब-सुरय्या है, देखिए क्या हो

शब-ए-फ़िराक़ की बढ़ती हुई सियाही में
ख़ुदा को मैंने पुकारा है, देखिए क्या हो

वही जफ़ाओं का आलम, वही है मश्क़-ए-सितम
वही वफ़ा का तक़ाज़ा है, देखिए क्या हो

ग़म-ए-बुताँ में कटी उम्र और अब दिल को
शिकायत-ए-ग़म-ए-दुनिया है, देखिए क्या हो

हज़ार बार ही देखा है सोचने का मआल
हज़ार बार ही सोचा है, देखिए क्या हो

मेरा शबाब, तेरा हुस्न और साया-ए-अब्र
शराब-ओ-शेर मुहय्या है, देखिए क्या हो

‘ज़िया’ जो पी के न बहका वो रिंद-ए-मस्ती-कोश
पिए बग़ैर बहकता है देखिए क्या हो!

अदम गोंडवी के कुछ बेहतरीन शेर

Book by Zia Fatehabadi:

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ज़िया फ़तेहाबादी
ज़िया फ़तेहाबादी, जिनका जन्म नाम मेहर लाल सोनी था और जो ९ फ़रवरी १९१३ को भारत में पंजाब प्रान्त के नगर कपूरथला में पैदा हुए थे, उर्दू भाषा के कवि थे। उनका सम्बन्ध मिर्ज़ा खाँ दाग़ देहलवी के अदबी खानदान से था। उर्दू ग़ज़ल के अतिरिक्त सीमाब की दिखाई हुई राह पर चलते हुए ज़िया ने भी क़ता, रुबाई और नज्में लिखीं जिन में सानेट और गीत भी शामिल हैं जो कि अब भारतीय साहित्य का एक अटूट अंग हैं।

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