कारट के फूल
वहाँ गिरते तो होंगे ना।

शाम की सलामी का बिगुल
मर गए किसी सोल्जर की याद दिलाता
बजता तो होगा वहाँ।

मेहंदी की डालें
कट तो चुकी होंगी जलाने के लिए

और
शाम से पहले ही
ढलाव उतरती सर्द हवा
आती तो होगी ना।

कारट के फूलों के महक भरे भाव
और शाम की सलामी के बिगुल का
कसक भरा दर्द
मेहंदी की हसीन कटी डालियों के लिए सम्वेदना
और शाम से पहले की सर्द हवा की सिहरन

मेरे कवि
क्यों जूझते हो
आसमाँ से, जमीं से, संसार से
जियोगे ना।

Previous articleबिजली पहलवान
Next articleकिरण की तरह आती है औरत

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here