अनुवाद: बी. आर. नारायण

कल मैं एक महाग्रन्थ प्रारम्भ करने वाला हूँ
नेस्ट्रोडमस के ग्रन्थ जैसा
आगे किस शताब्दी में कहाँ और किस गाँव में
पड़ेगा अकाल, होंगी नरहत्याएँ, कौन-सी
संस्कृति कब्र में धसेगी
लोगों के दुर्भाग्य मिलकर
पक्षियों के कलरव-सी बातों में
चक्रबन्ध के समान चित्रों में
लिखने वाला हूँ कल
नेस्ट्रोडमस के ग्रन्थ जैसा।

आने वाले हैं उसमें ये शतमान
उनके गीत उनके ऋतुमान
देवस्थानों में भरे होंगे शस्त्रास्त्र
पैंठ के दिन एक बच्चा ढूँढेगा अपनी माँ को
घर का मालिक होगा लापता
थाली में रखे कटे तरबूज पर बैठेंगे भुनगे
अन्त में वह भी सड़-गल जाएगा।

कल मैं, एक महाग्रन्थ प्रारम्भ करने वाला हूँ
नेस्ट्रोडमस के ग्रन्थ जैसा
लिखूँगा उसमें छूट रहे एयरपोर्ट के बारे में
उसके रन-वे के बारे में
ऊर्ध्वमुख विमान के बारे में
मिट्टी में धँसे चक्कों के बारे में
टूटे पंखों के बारे में
लिखूँगा मैं इस धरती के खिसक जाने के बारे में
स्खलन से हुए सर्वनाश के बारे में
फैलने वाले आदि अन्धकार के बारे में
वहाँ भटकते वृहदाकार प्राणी के बारे में
एकाकी मानव के बारे में
उसकी पसलियों के बारे में
उससे सृजित होने वाली प्रथम कलाकृति के बारे में

कल मैं एक महाग्रन्थ प्रारम्भ करने वाला हूँ
नेस्ट्रोडमस के ग्रन्थ जैसा।

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