‘Ladkiyaan Udas Hain’, Hindi Kavita by Nirmal Gupt

लड़कियाँ उदास हैं
अब वे कैसे खेलें खेल
उनके खेलने की हर जगह पर
अधिकार कर लिया है
उद्दण्ड लड़कों की टोलियों ने

लड़कियाँ उदास हैं
पर वह अनन्त काल तक
भला उदास कैसे रहेंगी
उनकी तो फ़ितरत में है
हँसना, खिलखिलाना,
फुर्र से उड़ जाने वाली
कभी अबाबील
तो कभी
तितली में तब्दील हो जाना।

लड़कियाँ उदास हैं,
पर वे नहीं हैं पराजिता
कोई लाख बाँध डाले
उनके परों को,
चाहे बींध दे
उनके मनोभावों को
हिदायतों के नुकीले आलपिनों से,
वे आज नहीं तो कल
हँसेगी ज़रूर, खिलखिलाएँगी भी
खिलंदरी भी करेंगी,
कुलाँचे भी भरेंगी।

लड़कियाँ उदास हैं
उनके मन के
अराजक वर्षा-वनों में
उमड़ रहे हैं जल-प्रपात
कौन कब तक रोक पाएगा
उनके प्रवाह को
जल प्रलय बनकर
उनका क़हर बरपाना तय है।

लड़कियाँ उदास हैं
तो सारी कायनात उदास है
जितनी जल्दी हो सके
ससम्मान लौटा दो उन्हें
उनके खेलने की जगह,
खोल दो उनके परों को,
भरने दो उन्हें उन्मुक्त उड़ान।

लड़कियाँ उदास हैं,
तो समझो…
यह कोई अच्छी खब़र नहीं है।

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Book by Nirmal Gupt:

निर्मल गुप्त
बंगाल में जन्म ,रहना सहना उत्तर प्रदेश में . व्यंग्य लेखन भी .अब तक कविता की दो किताबें -मैं ज़रा जल्दी में हूँ और वक्त का अजायबघर छप चुकी हैं . तीन व्यंग्य लेखों के संकलन इस बहुरुपिया समय में,हैंगर में टंगा एंगर और बतकही का लोकतंत्र प्रकाशित. कुछ कहानियों और कविताओं का अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में अनुवाद . सम्पर्क : [email protected]