वे कहते हैं—
सिर्फ़ उसी पर लिखो
जिसे तुमने ख़ुद देखा है
ख़ुद महसूस किया है
जिसे तुम ख़ुद अपने अनुभव से जानते हो
जिसे तुमने ख़ुद जिया है।
इसलिए, मत लिखो
बेलछी में ज़िन्दा जला दिए गए हरिजनों के बारे में
मत लिखो
कुत्तों से भी बदतर तरीक़ों से मार दिए गए
आन्ध्र के विद्रोहियों के बारे में!

लेकिन मैं कहता हूँ
हाँ, पूरे विश्वास से कहता हूँ
मैं लिखूँगा उस सब पर
जो भले मैंने नहीं देखा
पर जो शब्दों के मज़बूत कंधों पर चढ़कर
मुझ तक पहुँचा है
और रात को अपने ख़ूनी पंजों में
दबोच ले जाता है मेरी नींद

बकवास हैं तुम्हारी धारणाएँ
मैं लिखूँगा उस सब पर
जो मेरे साथियों द्वारा मुझ तक पहुँचा है

न सही कविता
कविता को स्थगित कर दो
आवाज़ ही बुलन्द करो
कविता न सही
ज़ोरदार चीख़ ही सही
पर तेज़ करो उसे
उस हाथ के ख़िलाफ़
जिसकी उँगलियाँ पुलिस हैं,
तेज़ करो उसे
मखमली दस्तानों में मलबूस
लोहे के चंगुलों के ख़िलाफ़!

Book by Neelabh:

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नीलाभ
नीलाभ (१६ अगस्त १९४५ - २३ जुलाई २०१६) एक भारतीय हिंदी कवि, आलोचक, पत्रकार एवं अनुवादक थे। उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हैं। कविता के अतिरिक्त उन्होंने आलोचना भी लिखी है। मौलिक लेखन के अतिरिक्त वे अनेक उल्लेखनीय लेखकों के साहित्य के अनुवाद के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।

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