Tag: Bhagwat Rawat
मनुष्य
दिखते रहने के लिए मनुष्य
हम काटते रहते हैं अपने नाख़ून
छँटवाकर बनाते-सँवारते रहते हैं बाल
दाढ़ी रोज़ न सही तो एक दिन छोड़कर
बनाते ही रहते हैं
जो...
इतनी बड़ी मृत्यु
आजकल हर कोई, कहीं न कहीं जाने लगा है
हर एक को पकड़ना है चुपके-से कोई ट्रेन
किसी को न हो कानों-कान ख़बर
इस तरह पहुँचना है...
आग पेटी
फिर से खाया धोखा इस बार
रत्ती भर नहीं आयी समझदारी
ले आया बड़े उत्साह से
सीली हुई बुझे रोगन वाली दियासलाई घर में
समझकर सचमुच की आग पेटी
बिल्कुल...
करुणा
सूरज के ताप में कहीं कोई कमी नहीं
न चन्द्रमा की ठण्डक में
लेकिन हवा और पानी में ज़रूर कुछ ऐसा हुआ है
कि दुनिया में
करुणा की कमी...
चिड़ियों को पता नहीं
चिड़ियों को पता नहीं कि वे
कितनी तेज़ी से प्रवेश कर रही हैं
कविताओं में।
इन अपने दिनों में खासकर
उन्हें चहचहाना था
उड़ानें भरनी थीं
और घंटों गरदन में...
हमने चलती चक्की देखी
हमने चलती चक्की देखी
हमने सब कुछ पिसते देखा
हमने चूल्हे बुझते देखे
हमने सब कुछ जलते देखा
हमने देखी पीर पराई
हमने देखी फटी बिवाई
हमने सब कुछ रखा...
वे इसी पृथ्वी पर हैं
इस पृथ्वी पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं ज़रूर
जो इस पृथ्वी को अपनी पीठ पर
कच्छपों की तरह धारण किए हुए हैं
बचाए...