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गोबिन्द प्रसाद की कविताएँ
आने वाला दृश्य
आदमी, पेड़ और कव्वे—
यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है
इसमें जो कुछ छूट गया है
मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और
किसी...
बदलती संज्ञा को देखते
रोज़ ही
जल-जला जाती हैं लड़कियाँ,
बाहर की दुनिया
रहती है जस-की-तस,
क्रिया नहीं
संज्ञा भर बदलती है बसजलजला आता नहीं कहीं कोई
जल-जला आती है चुपचाप
जल-जला आना है जिसे एक-न-एक...
नन्ही बच्चियाँ
'Nanhi Bachchiyaan', a poem by Nirmal Guptदो नन्ही बच्चियाँ घर की चौखट पर बैठीं
पत्थर उछालती, खेलती हैं कोई खेल
वे कहती हैं इसे- गिट्टक!
इसमें न...